कॉफी विद कुश.. (आठवाँ एपिसोड) एक नये रूप में..

नमस्कार दोस्तो,

आप सबके स्नेह और आशीर्वाद से एक बार फिर हाज़िर है 'कॉफी विद कुश' एक नयी साज़ सज्जा और नये रूप में..

एक बात की खुशी मुझे और है की इस नये रूप में हमारे मेहमान है अपनी नवीनताओ से परिपूर्ण ग़ज़लो और आलेखो के स्वामी नीरज जी से.. ये कॉफी विद कुश का सौभाग्य है की नीरज जी हमारे साथ आए और कुछ देर रुबरु बैठे.. आप सबका अधिक समय ना लेते हुए.. मैं आमंत्रित करता हू एक कमाल के व्यक्तित्व् के धनी नीरज जी को..


कुश: आइए नीरज जी स्वागत है आपका 'कॉफी विद कुश' में
नीरज जी : शुक्रिया कुश, बहुत खुशी हुई यहाँ आकर आख़िर मेरा नंबर भी लग ही गया

कुश: सबसे पहले तो ये बताइए कैसा लगा आपको यहा आकर?
नीरज जी : वैसा ही जैसे शाहरुख़ खान को करण जोहर के सेट पर आ कर लगा था.

कुश: हा हा शुक्रिया, ये बताइए ब्लोगिंग में कैसे आना हुआ आपका?
नीरज जी : शिव कुमार मिश्रा की कृपा से...जब उन्होंने मुझे ब्लॉग्गिंग में घसीटा कोई दस महीने पहले तब तक ब्लॉग किस चिडिया का नाम है पता ही नहीं था.उन्होंने ख़ुद ही ब्लॉग खोल के दिया और फरमान जारी कर दिया की भईया लिखो...हम उस बैल की तरह जिसे कोल्हू में जोत देते हैं चलने लगे....शिव रुकने ही नहीं देते चलाये रखते हैं...अब इस कोल्हू से तेल निकल रहा है या खल ये तो आप भली भांति जानते होंगे...


कुश: हम तो तेल ही कहेंगे, ब्लॉगर्स में किसे पढ़ना पसंद करते है ?
नीरज जी : उन्हें जो मुझे पढ़ना पसंद करते हैं....याने जिनसे अपनी पसंद मिलती है...अब नाम ना पूछना भाई, बहुत सारे हैं..और जिनको मैं पढता हूँ वो बखूबी मुझे जानते हैं..


कुश : प्राण साहब के बारे में क्या कहेंगे
नीरज जी : प्राण साहेब मेरे गुरु हैं...शायरी के पुराने उस्ताद हैं और बहुत बड़े मददगार हैं...मेरी बेवकूफी से भरी बातों पर भी गुस्सा नहीं करते...मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है.

कुश : बढ़िया! लीजिए आपकी गरमा गरम कॉफी तैयार है..
नीरज जी : चीनी कुछ कम है, क्या है की हम खड़े चम्मच की काफी पीते हैं...चमचे मैं देख रहा हूँ आप रखते ही नहीं अपने पास.

कुश: हा हा आप बड़े शरारती है, अब ज़्यादा है या बचपन में भी थे ?
नीरज जी : अब की और बचपन की शरारत में कोई फर्क नहीं आया है...पत्नी(अरुणा)कहती है क्या तुम मिष्टी जैसी शरारतें करते हो...स्कूल टाइम से ही अध्यापकों की हुबहू नक़ल उतर कर सबको हँसाना परम धर्म हुआ करता था...कालेज में भी इसी क्रिया के चलते बहुत वाहवाही मिली....प्रिंसिपल की नक़ल उतारी अस्सेम्बली में और तीन दिन क्लास के बाहर खड़े रहना पढ़ा...शरारतों का सारा कोटा कालेज में पूरा किया बाद में जो बच गया उसे विरासत के तौर पर अपने दोनों बेटों में बाँट दिया.

कुश: कैसे स्टूडेंट थे आप ?
नीरज जी : मध्यम मार्गी...न कभी माउन्ट एवरेस्ट चढा और ना पाताल की गहराई नापी...बस सतह पर ही रहा...समझे ना आप???

कुश: स्कूल में शरारत नही कर पाते थे आप?
नीरज जी : नहीं...मौका नहीं मिला क्यूँ की पापा उसी स्कूल में प्राध्यापक थे...उनके साथ ही साईकिल पर पीछे बैठ कर स्कूल जाता था...एक बार उनकी क्लास में बैठ कर इंद्रजाल कामिक्स पढ़ रहा था उन्होंने देख लिया और सारे क्लास के सामने चपत जड़ दी...जो शायद उनकी पहली और आखरी चपत थी क्यूँ की उसके बाद मैंने ऐसा मौका ही नहीं दिया उनको.

कुश: फिर तो आप समीर जी की तरह क्लास बंक करने से भी वंचित रहे होंगे?
नीरज जी : जी नही क्लास बंक करने के सारे सपने कालेज में पूरे किए. मालवीय कालेज से साईकिल पर बैठ कर पोलोविक्ट्री सिनेमा तक जो करीब आठ की.मी, था,सिनेमा देखने जाते और वापस लौट आते. सिनेमा नहीं तो कालेज के पीछे की पहाडी पर घूमना बहुत पसंद था. ये समझिये की क्लास बंक ज्यादा की और अटेंड कम की.

कुश: सिनेमा देखना बहुत पसंद था आपको ?
नीरज जी : जी हा बहुत ... सिनेमा देखना बचपन से ही बहुत पसंद था और अभी भी है...मौका मिलते ही नयी फ़िल्म देखना अपना फ़र्ज़ समझता हूँ. घर पर फिल्मों की भरी पूरी लाइब्रेरी है...
कोई आठ साल का रहा होऊंगा जब एक दिन मम्मी और मेरी बुआ करवा चौथ के दिन दोपहर का शो देखने रिक्शा पर सिनेमा घर गयीं और मैं छुप छुप के उनका पीछा करता पहुँच गया...मुझे देख कर वो हैरान हो गयीं...झक मार कर मुझे भी फ़िल्म दिखाई...फ़िल्म थी. "दिया और तूफ़ान"


कुश : हा हा हा !! सुना है एक ही दिन में दो दो फिल्म देखने का भी रिकॉर्ड बनाया है आपने?
नीरज जी : जी हाँ कालेज से भाग कर शायद "राम और श्याम" और "फ़र्ज़" दोनों एक ही दिन एक के बाद एक शो में देखीं.फिल्मों का भारी शौक हुआ करता था ,शौक तो अभी भी है लेकिन कालेज से भाग कर फ़िल्म देखने में जो आनंद आया करता था वो अब नहीं आता.


कुश : ब्लॉग जगत के राम और श्याम किसे कहेंगे आप?
नीरज जी :ज्ञान भईया और शिव कुमार मिश्रा को...जहाँ ज्ञान भईया धीर गंभीर हैं वहीँ शिव मनमौजी हैं..


कुश: बचपन में किसी बात से डरते भी थे आप ?
नीरज जी : गणित के होम वर्क से....राक्षस से भिड़ना मंजूर था लेकिन गणित के सवाल से सिट्टी पिट्टी गम हो जाती थी...बाद में गणित के करण ही इंजीनियरिंग में प्रवेश मिला...प्रभु की लीला अपरम्पार है...जिससे डरो वो ही पार लगाती है.

कुश: कहते है गुलाबी नगरी वाले बड़े दिलवाले होते है आपका दिल पहली बार किस पर आया था ?
नीरज जी : पहली और आखरी बार जिस पर दिल आया वो "अरुणा", अब मेरी पत्नी है, दूर दृष्टि कमजोर होने के करण पड़ोस की लड़की पर दिल आया....दोनों घरों के बीच सिर्फ़ चार फुट ऊंची दीवार ही है....हम दोनों जब कक्षा सात में थे तब से एक दूसरे के पड़ोस में रहने आए...एक साथ खेले, बड़े हुए, पढ़े और अब जीवन साथी हैं...

कुश : वाह कितनी प्यारी बात है, ये बताइए आपके पुराने शहर और हमारे वर्तमान शहर 'जयपुर' के बारे में क्या कहेंगे आप?
नीरज जी : पुराना शहर जैसे "मधुबाला" और नया जैसे "ऐश्वर्या..."


कुश: बहुत खूब! ये बताइए लिखने का शौक कब से हुआ?
नीरज जी : पिछले दो साल से...इससे पहले कालेज में छोटे मोटे हास्य नाटक लिखे, मंचित किए, खूब चर्चित हुए...एक आध तुकबन्दियाँ भी की...लेकिन..लिखना अभी शुरू किया.


कुश: आप जिस पोस्ट पर हैं उस में इन सब कामों के लिए समय कैसे निकाल लेते हैं? नीरज जी : जहाँ चाह वहां राह...अपनी रुचियों को कभी मरने नहीं देना चाहिए....रही बात समय की तो अगर आप के पास अपनी एक टीम है जिसे आप ने काम करने की पूर्ण स्वतंत्रता दे रखी है, तो फ़िर आप के पास करने को कुछ नहीं रह जाता सिवाय ब्लॉग्गिंग करने के.


कुश: तो ब्लॉग्गिंग से आप को क्या लाभ हुआ?
नीरज जी : पूछिए मत...सबसे बड़ा लाभ तो ये की एक गुमनाम व्यक्ति को इस लायक बनाया की उसका इंटरव्यू आप द्वारा लिया जाए.....ब्लॉग्गिंग से मुझे बहुत ही विलक्षण लोगों के संपर्क में आने और उन्हें पढने का मौका मिला...मुझे लगता है की अगर मैं उनके संपर्क में ना आता तो शायद जीवन में बहुत कमी रह जाती. अनजान व्यक्तियों ने ना मुझे अपनाया बल्कि इतना प्यार दिया की उस से हमेशा अभिभूत रहता हूँ.


कुश : आपके ब्लॉग की सबसे पॉपुलर पोस्ट 'खोपोली' के बारे में बताइए?
नीरज जी : नौकरी के सिलसिले में पाँच साल पहले यहाँ आया. खोपोली एक छोटी सी खूबसूरत जगह है जिसके बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है...मुझे लगा की प्रसिद्द जगहों के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन एक अनजान जगह जो इतनी खूबसूरत है लोगों की नज़रों से बची हुई है... इसीलिए ये श्रृंखला शुरू की थी...सबने रूचि तो दिखाई लेकिन आया कोई नहीं...मुझे इस बात का दुःख है.


कुश : रेल गाड़ी से भी ख़ासा लगाव है आपका ?
नीरज जी : जी हाँ मेरे नाना रेलवे के इंजिनियर और दादा गार्ड थे...बचपन से ही रेल ने सम्मोहित किया मुझे..उसकी चलने से होने वाली संगीत की ध्वनि मुझे अभी भी अपनी और खींचती है.


कुश : आपको गाने का शौक भी है!
नीरज जी : बहुत...लेकिन बाथरूम में...संगीत से मेरा लगाव पागलपन की हद तक है...विशेष रूप से भारतीय शास्त्रीय संगीत.. मेरी माँ और मौसी बहुत अच्छा गाती हैं..अभी भी उनसे आप फिल्मी या गैर फिल्मी गीत सुन सकते हैं...मम्मी जो अब करीब अस्सी वर्ष की हैं,तो आपको एक दम ताजा फिल्मी गीत सुना कर चकित कर सकती हैं. पापा को सितार बजाने का शौक था...घर में उनके समय बहुत से साज़ रखे रहते थे.


कुश : आपने विश्व में इतनी जगह पर भ्रमण किया है सबसे बढ़िया अनुभव कब रहा?
नीरज जी: एक बात मैंने अनुभव की, जो बहुत बढ़िया लगी.....दुनिया के सारे इंसान एक जैसे हैं.....मैं जहाँ कहीं गया...लोग मुझको देख कर हँसे.


कुश : हा हा हा..
नीरज जी : देखिए आप भी हँसने लगे


कुश: सुना है विदेशी पुलिस ने पकड़ भी लिया था आपको ?
नीरज जी : अरे मत पूछिए, हुआ यूँ की जकार्ता की एक भीड़ भाड़ वाली मुख्य सड़क है...जालान सुधीर मान...छे लेन वाली सड़क है...उसके एक तरफ़ हम खड़े थे और हमें दूसरी दिशा में जाना था...ओवर ब्रिज कोई आधा की.मी. दूर था..सोचा चलो दौड़ के पार करते हैं...आधा रास्ता पार किया और बीच में बने डिवाईडर पर खड़े थे की पुलिस आगयी...और हमें गाड़ी में बिठा कर थाने ले गयी...क्यूँ की हम वहां विदेशी थे सो सीधे इंचार्ज ने बुलाया और कहा की अगर आप सड़क दुर्घटना में मर जाते तो? मैंने निडर हो कर कहा की "सर हमारे देश में सड़क ऐसे ही पार करनी सिखाई जाती है."..वो बोला क्यूँ? तो मैंने कहा "क्यूँ की हमारे देश की जनसँख्या बहुत जयादा है..."मेरे जवाब को सुन कर वो बहुत देर तक हँसता रहा और बाद में हमें छोड़ दिया. लेकिन एक बार तो विदेशी धरती पर पुलिस के हाथ पकड़े जाने पर हमारी सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी थी...


कुश: हा हा! सुना है आप बहुत खुल कर हँसते हैं.
नीरज जी : हा हा हा ...जो व्यक्ति खुल के हंस नहीं सकता वो खुल कर रो भी नहीं सकता...जीवन जीने का नाम है...हंसने के लिए किसी चुटकले या घटना की जरुरत नहीं पढ़ती...रोज की छोटी छोटी घटनाओं में हास्य भरा रहता है...आप अपने देखने, आंकने का नजरिया बदलिए देखिये फ़िर कैसे हास्य आप के चारों और बिखरता है.


कुश: खाने में क्या पसंद नही आपको ?
नीरज जी : बैंगन... बाकि सबकुछ खा लेता हूँ...कब बुला रहे हैं आप? लेकिन शाकाहारी भोजन होना चाहिए..


कुश : कॉलेज की मेगज़ीन में आपकी फोटो भी छपी थी?
नीरज जी : तीन साल तक लगातार हमारी फोटो "प्राइड ऑफ़ आवर कालेज" शीर्षक के साथ कालेज मैगजीन में छपती रही थी. उनदिनों कालेज का कोई फंक्सन हमारी टांग अढ़ाये बिना सफल नहीं होता था. कालेज छोड़ने के दस साल बाद तक के छात्र हमारे नाम से वाकिफ थे.


कुश : मशहूर अभिनेता उत्पल दत्त जी से मुलाकात के बारे में बताइए?
नीरज जी : इंजीनियरिंग के अन्तिम वर्ष के दौरान सन 1972 जयपुर में "पृथ्वीराज मेमोरियल प्ले कम्पीटीशन "मनाया गया था, जिसमें उत्पल दत्त, मनमोहन, ऐ.के.हंगल, कादर खान, शबाना आजमी, कीमती आनंद, बादल सरकार, विजय तेंदुलकर और शशि कपूर जैसी हस्तियां आयीं. उस वक्त हम जयपुर थिएटर में बहुत सक्रिय थे. उत्पल दत्त जी से मुलाकात हुई और उनसे बहुत कुछ सीखा. इतने प्यार से मिले जैसे बरसों की पहचान हो. मैं उनकी सादगी और थिएटर के ज्ञान से बहुत प्रभावित हुआ.


कुश : साइकल का बड़ा योगदान रहा आपकी ज़िंदगी में?
नीरज जी : सही कहा. साईकिल ना होती तो पता नहीं क्या होता...कालेज के अन्तिम
वर्ष की बात है अपनी पडोसन (अरुणा...अब तो आप पहचान ही गए होंगे) से उसकी नई की नई साईकिल मांग कर कालेज फ़िल्म देखने गया वहां नई साईकिल कोई चुरा ले गया...वापस मुहं लटका के घर आया तो पडोसन ने कहा कोई बात नहीं...मैंने कहा मैं इसकी भरपायी कैसे कर पाउँगा...??? उसने कुछ कहा नहीं....लेकिन बाद में मेरी पत्नी बन के घर आगयी...साइकिल की भरपायी करने जो अभी तक नहीं हो पायी है. हा हा हा...



हा हा हा! बहुत बढ़िया रही साइकल दास्तान, अब वक़्त आ गया है हमारे प्यारे प्यारे पाठको के न्यारे न्यारे सवालो का

कुश : आपकी सदाबहार मुस्कुराहट का राज़ क्या है? - पारूल जी
नीरज जी :" कल किसने देखा है...आए या ना आए" गीत हमेशा याद रखना.

कुश : नीरज जी , आप अपने को क्या कहेंगे रूमानी या रूहानी? - अभिजीत जी
नीरज जी :ना रूमानी ना रूहानी काम अपुन का बस शैतानी....अभी जी रूह के बिना रूमानी आप हो नहीं सकते.

कुश : खोपोली दिखलाय के लीयो है मनवा जीत
जो पहुच गये हम सारे तो कहा जाओगे मीत ? -"अरुण जी
नीरज जी : आप के हियाँ....और कहाँ?
मजाक की बात अलग है अरुण जी, आप सब आयें कम से कम मेरा एक सपना तो सच हो.

वाह जी बढ़िया जवाब रहे आपके अब चलते है रॅपिड फायर राउंड की तरफ
कुश : लेडीज़ साइकल - जेंट्‍स साइकल
नीरज जी : जेंट्स साइकल. लेडीज साईकल चलाकर बहुत भारी कीमत अदा करनी पढ़ी थी बंधू.

कुश : जयपुर - मुंबई
नीरज जी : जयपुर...आज भी है और कल भी रहेगा.(अपुन की चोइस)

कुश : स्कूल लाइफ - कॉलेज लाइफ
नीरज जी : कॉलेज लाइफ

कुश : शाहिद करीना - सैफ करीना
नीरज जी : सिर्फ़ करीना

कुश : गुलज़ार जगजीत सिंह - गुलज़ार पंचम
नीरज जी :गुलज़ार गुलज़ार गुलज़ार...किसी के साथ भी.

अब बारी है हमारे वन लाइनर राउंड की

कुश : शिव कुमार मिश्रा
नीरज जी : उस्तादों के उस्ताद

कुश : अरुणा जी
नीरज जी : अंधे की लाठी

कुश : मिष्टी
नीरज जी : इश्वर का रूप

कुश : खोपोली
नीरज जी : जहाँ कोई नहीं आता

कुश : कुश की कॉफी
नीरज जी : सबसे स्वाद


अब वक़्त है हमारी खुराफाती कॉफी का जिसे पीकर आपको देने होंगे कुछ खुराफाती सवालो के जवाब

कुश : यदि आप पी एम होते तो सरकार गिरने से कैसे बचाते?
नीरज जी : बोलता जिसने सरकार के लिए वोट नहीं दिया उसे मेरी ग़ज़लें पढ़नी पड़ेंगी. मायावती जी सबसे पहले सरकार के समर्थन में आ जातीं .


कुश :
अगर आपको किसी ब्रांड का एड करना हो तो किसका करेंगे?
नीरज जी : काफी का जो आप पिला रहे हैं

कुश : पहाड़ खोदने पर चूहा ही कयो निकलता है?
नीरज जी : क्यूँ की हाथी को बिल खोदना नहीं आता .

कुश : यदि आपके भी रावण की तरह दस सर होते तो?
नीरज जी : आप की परेशानी बढ़ जाती...सवाल कौनसे सर से पूछते?

कुश : गुलाब जामुन का नाम 'गुलाब जामुन' क्यो पड़ा?
नीरज जी : क्यूँ की हलवाई "गुलाब चंद" ने जामुन खाते हुए उसका अविष्कार किया था. सन्दर्भ: पुस्तक"भारतीय मिठाई का इतिहास" पृष्ठ ३९

कुश : चलते चलते ये बताइए हिन्दी ब्लॉग जगत का भविष्य कैसा देखते है आप?
नीरज जी: आप जैसे युवाओं के ब्लॉग्गिंग करने से भविष्य उज्जवल है.

कुश : अरे आपने ये तो बताया नही की कॉफी विद कुश का नया रूप कैसा लगा आपको?
नीरज जी: बहुत ही बढ़िया.. जैसे ब्राइडल मेकअप के बाद दुल्हन

कुश : और अंत में हमारे ब्लॉगर मित्रो से क्या कहेंगे आप?
नीरज जी : कमेन्ट करने जैसा पावन कार्य हमेशा संपन्न किया करें..

कुश : जाने से पहले आप हमारे गेस्ट बुक में अपने ऑटो ग्राफ देते जाइए
नीरज जी : क्यो नही.. मुझे खुशी होगी.. ये लीजिए



कुश : बहुत बहुत धन्यवाद आपका, वाकई आज आपसे बात करके हमे बहुत अच्छा लगा नीरज जी ये रहा आपका गिफ्ट हेम्पर और साथ में एक बेक्ड समोसा..
नीरज जी : मेरा भी सौभाग्य रहा की आप के साथ मुझे भी अपने अतीत में झाँकने का सुनहरी अवसर मिला...पुरानी दिलचस्प यादों को दुहराना हमेशा अच्छा लगता है. बेक्ड समोसा तो ग़ज़ब का बनाया है आपने लेकिन रूबी को धन्यवाद दिया की नहीं जिसने बनाना सिखाया है ???

जी ज़रूर, एक बार फिर आपका बहुत बहुत शुक्रिया नीरज जी, यहा आने के लिए और हमारे एपिसोड में चार चाँद लगाने के लिए..

तो दोस्तो ये था हमारा कॉफी विद कुश का आठवाँ एपिसोड एक नये रंग रूप में ब्लॉग जगत की एक जानी मानी हस्ती नीरज गोस्वामी जी के साथ, ज़रूर बताएगा कैसा लगा आपको.. अगले सोमवार को हम फिर मिलेंगे हमारे ही बीच के एक और ब्लॉगर के साथ तब तक के लिए शुभम!

50 comments:

Nitish Raj said...

वाह बंधु, आज नीरज जी से ये वार्ता अच्छी लगी और रोचक भी। नीरज जी बड़े ही वाक पटु हैं और साथ ही नीरज जी की सलाह पर टिप्पणी देने का पावन काम कर रहा हूं। कुश मैंने समीर जी से लेकर सब पढ़े हैं। मुझे आपका होमवर्क काफी अच्छा लगता है सवालों के मामले में। मजा आ गया। और नीरज जी गणित से सभी को डर लगता है। दूर की दृष्टि हमारी भी खराब थी...तब से ही फंस गए।

रंजू भाटिया said...

काफ़ी विद कुश का नया रूप और नीरज जी की बातें मन मोह गई ..बेक्ड समोसा और दूर दृष्टि गजब लगे :) यह अच्छा है ,बहुत सी बाते इस से पता चल रही है ..बहुत ही अच्छा लगा यह एपिसोड :)

Shiv said...

नीरज भइया से नए तरीके से मिलवाने का बहुत बहुत धन्यवाद. कुछ बातें तो हमें भी नहीं मालूम थीं. अब कुश की काफ़ी नहीं पीते तो कैसे पता चलती. बहुत शानदार पोस्ट.

और हाँ, कुश के काफी हाउस का नया रूप बहुत खूब लगा.

Rajesh Roshan said...

अच्छी रही नीरज जी के साथ यह काफी भी। सवाल के साथ जवाब भी गजब..
जो अपने पर लोगों को हंसवा दे, उसके क्या कहने...


कुश : आपने विश्व में इतनी जगह पर भ्रमण किया है सबसे बढ़िया अनुभव कब रहा?
नीरज जी: एक बात मैंने अनुभव की, जो बहुत बढ़िया लगी.....दुनिया के सारे इंसान एक जैसे हैं.....मैं जहाँ कहीं गया...लोग मुझको देख कर हँसे.

मीनाक्षी said...

कॉफी विद कुश का नया रूप और नीरजजी का साक्षात्कार मन मोह गया...नीरजजी के बारे में कई नई बाते जानकर अच्छा लगा..

डॉ .अनुराग said...

क्या कहे पहले हम ये कहते थे की नीरज जी किस्मत वाले है की उनके पास मिष्टी है पर अब मिष्टी को भी कहेंगे की उसके पास भी एक प्यारा इन्सान है ,जिंदगी से भरा हुआ ...जिसमे कवि मन भी है ,एक छुपा हुआ किशोर भी ओर संवेदनायो से भरा एक दिल भी...उनके शेर जिस तरह से जिंदगी से जुड़े रहते है ..वैसे ही भले ओर दिल के साफ़ इन्सान है......मिश्रा जी का आभारी हूँ की वो ऐसे व्यक्तित्व को ब्लॉग जगत में लाये ....
जहाँ तक खपोली का सवाल है सुना है नीरज जी को वहां का ब्रांड अम्बेसडर नियुक्त किया जा रहा है ...(.भाई इतना प्रचार जो किया है )ये जानकर भला लगा की उन्होंने प्यार की पींगे छत से शुरू की ओर उनकी पतंग कटी नही......मिष्टी को ढेरो प्यार

ओर अंत में कुश .....नया रूप बहुत खूबसूरत है....
काफी में चीनी कम डाला करो ,हमें भी ज्यादा मीठी लगी थी ,ओर पुराने सोफे जरा हमारे यहाँ भिजवा दो..आख़िर में जो साइन लिया है.....एक दम झकास है बोले तो.........

राज भाटिय़ा said...

कुश नीरज जी की कवितये तो बहुत पढी , लेकिन उन के बारे अब काफ़ी कुछ जान गये, अब मुझे पता चला की इन की कवितओ मे इतनी मिठास केसे होती हे, अरे इन के पास मिष्टी बिटिया जो हे,ओर मिष्टी के पास इतने प्यारे पापा.
धन्यवाद इन से मिलाने का

मोहन वशिष्‍ठ said...

वाह कुश जी मजा आ गया आपने आज नीरज जी के जींदगी के अनुभवों से तो रूबरू कराया ही एक बात और पता चल गई कि अगर कभी हमें भी विदेश में सडक पार करते समय पुलिस पकड लेगी तो हम भी यही जवाब देंगे बहुत अच्‍छा लगा और काफी की खुशबू काफी दूर तक आई है नीरज जी, कुश जी आप का बहुत बहुत धन्‍यवाद

Saee_K said...

neeraj ji ka interview bahut hi badhiya raha..bahut maza aaya ..unka sense of humor bahut mazedaar hai..neeraj ji se kahiyega..khopoli ham dekh chuke hai:D

kushji..
is naye khoobsoorat avtaar ke liye badhai...
aur autograph..mazedaar...

maza aa gaya

Abhijit said...

vaah..naye roop aur taazgi ki saath ek aur dhamakedaar interview. Padhkar bahut maza aaya

संजय बेंगाणी said...

ब्लॉग का नया रंग-रूप बहुत सुन्दर व ब्लोग के अनुकुल है. वैसे कप चाय के हैं या कॉफि के? :)


मुलाकात शानदार रही. जयपुर जाना हुआ तो ब्लॉगर मिलन कर लेंगे :)

सुशील छौक्कर said...

अजी वाह करण के सवाल और शाहरुख के जवाब सुनकर हम लाजवाब हो गये। नीरज जी की अनछुई बातों का पता चला। उनकी हाजिर जवाबी ने मन मोह लिया। और काफी विद कुश का सेट भी सुंदर लगा।

meeta said...

coffee ka taste aur bhi lajawab!!! aur niraj ji ke jawab bilkul tumhare sawalo ki takkar mein....achcha laga padhkar...maza bhi aaya....

pallavi trivedi said...

नीरज जी की हाजिर जवाबी कमाल की है!खुराफाती प्रश्नों के बड़े मजेदार उत्तर दिए! खासकर " भारतीय मिठाई का इतिहास पेज नंबर ३९" बहुत भाया!ब्लॉग का नया रंग रूप बहुत बढ़िया है!

Abhishek Ojha said...

बहुत खूब ! नीरजजी से मुलाकात और नया रूप दोनों... हम तो खोपोली हो आए, तो वहां कोई नहीं जाता ये सत्य नहीं... हाँ तब हम नीरजजी को जानते न थे. :(

पारुल "पुखराज" said...

जो व्यक्ति खुल के हंस नहीं सकता वो खुल कर रो भी नहीं सकता...जीवन जीने का नाम है...हंसने के लिए किसी चुटकले या घटना की जरुरत नहीं पढ़ती...100 takey ki baat kahi aapney neeraj ji...aanand aaya padhkar..kush shukriyaa..is tarah sabsey rubaruu karvaaney ka :)

शोभा said...

कुश जी
नीरज जी के विषय में काफी जाना। अच्छा लगा। आपके प्रश्न और उनके उत्तर दोनो बढ़िया रहे।

बालकिशन said...

वाह वाह! वड्डे पापाजी को एक नए रूप में मिले यहाँ. कितनी सारी बातें जानने को मिली. खुलकर हँसते हैं इसीलिए हम आपके दीवाने हैं. लेकिन बचपन की खुराफातियों को बारे में जानकर हमें तो लगा जैसे अगर वड्डे पापाजी के जैसी खुराफत करनी है तो हमें फिर से बचपन में जाना पड़ेगा. बहुत बढ़िया लगा एपिसोड.

vipinkizindagi said...

नीरज जी के विषय में जाना। अच्छा लगा।

Manish Kumar said...

नया स्वरूप बेहद सुंदर है। नीरज जी के बारे में जानकर अच्छा लगा। पर आपने उनसे स्टील से जुड़ा कोई प्रश्न नहीं पूछा जबकि वो इसी उद्योग से जुड़े हैं।

Batangad said...

खोपोली के टूरिज्म मिनिस्टर का शानदार साक्षात्कार। हमने भी ये पावन कार्य कर डाला।

कॉफी विद कुश का नया सेट बेहतर टीवी के नए प्लाज्मा की तरह।

Udan Tashtari said...

ये ठीक रहा..नीरज भाई को और जाना. खपोली के लिए नाराज न हो. कनाडा से आने तो दो. ब्लाग का नया कलेवर पसंद आया.

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

काफ़ी पिलाकर काफी रस निकाल लाते हैं कुश भाई आप। नीरज जी के क्या कहने। आधुनिक तेनालीराम कहना पड़ेगा।...
कुल मिलाकर एक और शानदार और सफल साक्षात्कार। साधुवाद।

Gyan Dutt Pandey said...

अरुणा जी के दो फोटो मांगता! एक पड़ोसी लड़की वाला और एक गृहस्वामिनी वाला!

Sajeev said...

बड़ी मीठी मुलाकात, नीरज जी लगे रहें ....

देवमणि पांडेय Devmani Pandey said...

कॉफी विद कुश बहुत रोचक है। इतनी मीठी कॉफी
पीते हुए नीरज जी शायरी भूल गए क्या? एक भी शेर कोट नहीं किया। चलो हम कर देते हैं -
है ज़िन्दगी कितनी ख़ूबसूरत अभी उन्हें ये पता नहीं है / कोई बहुत प्यार करने वाला जिन्हें अभी तक मिला नहीं है।
देवमणि पाण्डेय, मुम्बई

haidabadi said...

लव कुष
का वार्तालाप कमाल है काफी अच्छा लगा
काफी भी अच्छी लगी नीरज साहिब के साथ मैं अक्सर काफी पीता रहता हूँ फ़ोन पर
लेकिन नीरज भाई लस्सी के शौकीन हैं कोई ज़माना था जब हम बहुत अच्छे दोस्त थे
लेकिन इनकी ब्लॉग में इनती दिलचस्पी है के अब क्या कहूँ ......
स्वामी नीरज ऐब में मुब्तिला हैं इन्हें ब्लॉग मेनिया हो गया है
नीरज भी ने बहुत एहसान किये हैं मुझ पर मुझे ऐसा लिखना नही शोभा देता
लेकिन में अपनी आदत से मजबूर हूँ मेरी काफी जियादा हो गई है काफी में कौफीन
का असर मुझे भी हो गया लगता है
खुश रहें यह आपका कम काफी अच्छा लगा
चाँद शुक्ला

श्रद्धा जैन said...

नीरज जी आपको जाना जान कर हैरत हुई की आपने अभी सिर्फ़ दो सालों से लिखना शुरू किया है
आपकी ग़ज़ल की गहराई और ज्ञान देख कर कभी ऐसा लगा नही और आपको पढ़ते पढ़ते मैं आपकी फेन भी हो गई साथ ही कही न कही आप मेरे गुरु हो गए मैं आपसे सीखते गई
मैं आपको तब से पढ़ रही हूँ जब आप ब्लॉग पर नही वेबसाइट पर लिखा करते थे
शुक्रगुजार हूँ शिव जी का की उन्होंने आपको ब्लॉग बनाने के लिए उत्साहित किया और आपसे बात हो सकी

आपसे बात करने के लिए मैं ने कई ज़त न किए थे और देखिये आप बरसों के इन्तेज़ार के बाद आख़िर आपसे मिल ही लिए
प्राण जी को पढ़कर उनकी सहायत से मैं भी बहुत सीख रही हूँ और थंक्स तो ब्लॉग्गिंग की ऐसे महान लोग यहाँ है

बहुत बहुत शुक्रिया कुश नीरज से मुलाकात का एक अवसर देने के लिए

अजित वडनेरकर said...

ये एपिसोड भी हरबार की तरह दिलचस्प रहा । शानदार कॉफी लिए चुलबुला मेज़बान, हरदिलअजी़ज़ मेहमान और क्या चाहिए.....
वाह वाह? सो हम किये देते हैं।
जयपुर के लोग, जयपुर की बातें हमेशा नॉस्टैल्जिक बनाती हैं। आखिर दस साल जो गुज़ारे हैं वहां पर...
अच्छी पेशकश के लिए शुक्रिया ....
और हां, नई साज सज्जा मनभावन है।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

बेहतरीन रहा ये भी ..
नीरज भाई जितने अच्छे दीखाई देते हैँ (उनकी मुस्कुराती तस्वीर मेँ)
उतने ही नेक दिल इन्सान हैँ
ये बात भी
और ज्यादा साफ हो गयी.
कुश भाई,
आप " कोफी विद कुश " को
सँवारने का काम कर रहे हैँ
और जानकारियाँ,
हिन्दी वेब जगत के लिये
उप्लब्धि बन रहीँ हैँ --
बधाई
और आगे भी पढते रहेँगेँ
स स्नेह्,
- लावण्या

समयचक्र said...

एपिसोड भी हरबार की तरह दिलचस्प एपिसोड .अच्छा लगा ..

Ashok Pandey said...

नीरज भाई से मुलाकात अच्‍छी रही। उनके बारे में कुछ और जानने का मौका मिला। धन्‍यवाद। काफी विद कुश का नया कलेवर भी मनभावन है।

Sanjeet Tripathi said...

बहुत बढ़िया।
यह काफी विद कुश वाला प्रयोग पसंद आया हजूर!

हर बार रोचक।

ब्लॉग टेम्प्लेट भी आपने आकर्षक बना दिया है।

art said...

neeraj ji bade hi hasmukh nikle....dekhiye,aise hum ghar baithe kitne achhe , aur pyaare logon se mil rahe hai

Shishir Shah said...

sabse pehle to deri ke liye gustakhi maaf...lekin aap jaante hi hain kyo?

baaki...neeraj ji se aap ki baatchit badi hi mazedar rahi...cycle wala sawal aur jawab...mast raha...
aur us se bhi zyada...एक बात मैंने अनुभव की, जो बहुत बढ़िया लगी.....दुनिया के सारे इंसान एक जैसे हैं.....मैं जहाँ कहीं गया...लोग मुझको देख कर हँसे.

bahot khub jawab...

Dr. Chandra Kumar Jain said...

बहुत रोचक इंटरव्यू.
================
नीरज जी,
तो आपका यह अंदाज़ है !
आप तो छुपे रुस्तम निकले.
अपने ब्लॉग पर खोपोली वाले धारावाहिक के एकाध
एपिसोड के आलावा आपको हमेशा बेहद संज़ीदा और
फलसफों की बात करते देखा है मैंने.
लेकिन इस पेशकश कीबात ही निराली है.
कुश जी के सवाल और आपके ज़वाब.
सोने में सुहागा जैसा संयोग है.
सच मन प्रसन्न हो गया पढ़कर.
मेरी बधाई और शुभकामनायें स्वीकार कीजिए.
===================================
चन्द्रकुमार

Unknown said...

स्वाद काफी का बहुत स्वादिष्ट था नीरज के साथ
ख़ाका लिखने का तरीक़ा है यह बेहद लाजवाब
पूछना कुश का सवाल और देना नीरज का जवाब
यह ब्लागिंग का तरीक़ा है नेहायत कामियाब
बातोँ बातोँ मे निकल आती है यूँही दिल की बात
रखिए जारी आप इस सीरीज़ को यूँही जनाब
डा.अहमद अली बर्क़ी आज़मी
नई दिल्ली- 110025

अमिताभ मीत said...

नीरज भाई, ज्यादा दिन तो नहीं हुए मुझे blogging की इस दुनियाँ में, और न ही ज्यादा blogs पढ़ पाता हूँ, लेकिन जब से आया इस दुनियाँ में आप की लगभग हर पोस्ट पढ़ी है. मेरे मन में आप की रचनाएं और comments पढ़ के, और आप से बात कर के जो तस्वीर थी, आप का ये इंटरव्यू पढ़ कर महसूस किया कि बिल्कुल सही थी. बहुत अच्छा लगा आप के बारे में आप ही की जुबानी जान कर.

और कुश साहब, आप के इस series की तो जितनी तारीफ की जाए कम है. बहुत बहुत शुक्रिया आप का. अपना ये काम बदस्तूर जारी रखिये, कमाल कर रहे हैं आप.

Anita kumar said...

मुझे खुशी है कि मैं इस ब्लोग पर आयी, नहीं तो नीरज जी को जानने का ये मौका खो देती। कुश जी के सवाल बहुत बड़िया है ब्लोग की साज सज्जा बहुत अच्छी है।

नीरज जी आप के और मेरे जीवन में काफ़ी समानताएं रही हैं, कॉलेज हमने भी खूब बंक किया,खूब पिक्चरें देखी, तुर्रा ये कि एक ही पिक्चर एक ही दिन में दो बार भी देखी, बॉबी, 12-3 कॉलेज बंक कर के और 6-9 मम्मी के साथ , कह नही सकते थे न कि अभी अभी देख कर आ रहे हैं , प्रसन्नता से उछल पड़ने का नाटक करना पड़ा था।
गणित को ले कर हमने भी बहुत मार खाई है, आज तक सर में कूबड़ बना हुआ है मार से।

खपौली आने का न्यौता तो हमने सच मान लिया है, हम तो तैयार बैठे है बस शिव जी के आने का इंतजार है आशा है हमारे आने से पहले बरसात खत्म न हो जाएगी, बरसात में तो खपौली अपने पूरे शबाब पर होगी। है न?
सच कहा आप ने रूह बिना तो रुमानियत होने से रही।
मिष्ठी को प्यार और अरुणा जी को नमस्कार, एक बात बताइए, साइकल आप ने जानबूझ के तो नही गुम किया था इस कीमत को चुकाना पड़े इस लिए। मम्मी डेडी को कहा होगा क्या करुं भरपाई तो करनी ही पड़ेगी, है न?… आप से यहां मिलना एक अनोखा अनुभव रहा।

Unknown said...

hi kush. sabse pahle to dhanyavaad khana chahunga tumhare sujhav ke liye. Tumhare lekhan ki aur rachnatmakta ki jitni bhia taarif ki jaye kam hai. jitna sundar blog banaya hai us se bhi acchi lekhni hai tumhari. 8th episode pardh kar maza aa gaya.

Kavi Kulwant said...

Aap ki andar ki baate jaan kar bahut maza aaya..
ab aap ko chedne me bhi aasani hogi..
fantastic.. extremelly beautiful
with love..
Kulwant singh

पंकज सुबीर said...

नीरज जी पर विशेष चर्चा हो और वो भी स्‍वयं नीरज जी के साथ रोचक तो होगी ही । बुरा हो वायरल फीवर का जिसके कारण आज बासी हो जाने के बाद इस एपीसोड का पढ़ रहा हूं । लेकिन हमारे यहां कहावत हैं कि बासी होने के बाद कढ़ी और ज्‍यादा जायका देती है । नीरज जी के बारे में इतना ही कह सकता हूं कि मैा उनसे कभी मिला तो नहीं पर ये लगता है कि जैसे बरसों पुराना याराना है उनसे । उनकी हंसी को ईश्‍वर सलामत रखे और सायकल के बारे में तो ये ही कह सकता हूं कि जो बीत गई सो बात गई । हां ये मैंने डायरी में लिख लिया है कि आगे से जब उनको सीहोर बुलाऊंगा तो मीनू कुछ इस प्रकार रहेगा बेंगन का भर्ता, भरवा बैंगन की सब्‍जी, आलू बैंगन टमाटर की सब्‍जी, बैंगन पुलाव, बैंगन कलाकंद, और सुबह के नाश्‍ते में बैंगन के समोसे तथा बैंगन का हलुवा ।

राकेश खंडेलवाल said...

" गीत उन्मन हो, गज़ल चुप हो रुबाई हो दुखी
ऐसे माहौल में नीरज को बुलाया जाये ":(नीरज)

रश्मि प्रभा... said...

shaandar coffee, coffee ke bich baaton ka snax mann ko lubhata raha

Geetkaar said...

जितनी है बेबाक हँसी है उतनी ही बेबाक बात भी
जिससे बात करें उसको ही अपने रँग में र्म्ग लेते हैं
गज़लें जो कालिज के दिन में डरते हुए न लब पत आईं
अब जो छूट मिली है खुलकर चिट्ठे पर वे कह देते हैं

लेकिन कभी कभी होता है अचरज एक बड़ा ये भारी
इतनी गहरी सोच गज़ल में लेकर कहां कहं से आते
ये तो भला बड़ा हो कुश को जो इतनी परतें खोली हैं
वरना हम सब सोचा करते दांतों में उंगलियां दबाते

Satyendra Tripathi said...

नीरज जी का लिखा पढने मात्र ही से उनके व्यक्तित्व का चित्र खिच जाता है। हिन्दी ब्लागिंग मे जिन ब्लागरो ने मन को सबसे अधिक छुआ उनमे नीरज जी का नाम सबसे ऊपर है। क्या लिखते है, लगता है लगातार उनको ही पढते रहे। बडा आश्चर्य और दुख होता है कि हिन्दी साहित्य जगत मे कुंडली मारकर बैठे अजगरो को जरा भी शर्म नही आती। नीरज जैसे व्यक्तित्व बडे पुरुस्कारो का हकदार है पर हमारे देश मे इन्हे अनदेखा किया जा रहा है। इस प्रस्तुति के लिये आभार।

अभय (पंकज जी भी साथ मे)

द्विजेन्द्र ‘द्विज’ said...

Kush ji
Namaskaar
Neeraj Bhaaee saahib se mukkaa-laat(muaaf karen Mulaaqaat) Bhaaee Chaand Shukla ke maadhyam se hui.unake khopoli vritaant aur unaki lekhan shailee ne man moh liyaa.is pyaaree shaKHsiyat ki saaree baaten bhee pyaaree lageen.
college time men maine kisee ko sher jaisaa kuchh kahate sunaa thaa jo Neeraj bhee ke liye pesh hai:
jo achhe hain unakee kahaanee bhee achee,
LaRakpan bhee achhaa ,jawaanee bhee achee,
kyoN n unake teer ko is dil meN jagah deN
Nishaanaa bhee achhaa nishaanee bhee achhee.
aur vo cycle episode ?
bechaaree bhole bhaale Neeraj bhaaee.
ek sher aur hai kisi kaa:
"Zindaadil log rooh tak apani,
dar haqeeqat udaas hote hain."
Saadar
Dwij

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाकई मज़ा आ गया
मज़ेदार इंटरव्यू
कुश जी को भी बधाई
दरअसल
मैं इस ब्लाग पर कभी नहीं आया था
अब नियमितता रखनी पड़ेगी

Smart Indian said...

नीरज जी का फेन हूँ. उनकी वार्ता पढ़कर बहुत अच्छा लगा. बधाई!

Anonymous said...

kush ji aaj pehli bar is blog ko pda esa laga din ban gaya neeraj ji ke khubsurat jawabo se or unki gazlon ko padkar aap dono ko dhanyawaad...pihu

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