कॉफी विद कुश.. (छेंटा एपिसोड)

नमस्कार दोस्तो,
स्वागत है आपका कॉफी विद कुश के छठे एपिसोड में.. आज के जो हमारे मेहमान है.. उनके बारे में कहा जाता है की उन्हे पंगे लेने का बड़ा शौक है.. अजीत जी के ब्लॉग शब्दो का सफ़र में तो आप इनके बारे में बहुत कुछ जान ही चुके है... बचा खुचा हम यहा पूरा किए देते है.. तो दोस्तो दिल खोलकर स्वागत कीजिए ब्लॉग पंगेबाज वाले अरुण पंगेबाज जी का...
स्वागत है आपका अरुण जी कॉफी विद कुश में

कुश : सबसे पहले तो ये बताइए कैसा लगा आपको यहा आकर?
अरुण जी :इस पर तो जाने के बाद ध्यान दिया जायेगा, तभी बताया जा सकता है

कुश : चलिए हम इंतेज़ार करेंगे, ये बताइए क्या वजह रही ब्लॉग का नाम पंगेबाज रखने की ?
अरुण जी :अरे भाई ये मत पूछिये ये बडी दुख भरी कहानी है, सुन कर आपकी भी कपकपी लग जायेगी, मेरे ब्लोग को नारद जी ने नारद मे शामिल करने से मना कर दिया था. लिहाजा हमने भी उसे डीलीट मार दिया. एक दिन दो पैग लगाने के बाद याद आई की एक नारद महोदय है, उन्होने हमसे पंगा लिया है,उनसे हमे पंगा बराबर करना है . लिहाजा हमने पंगेबाज नाम से दुबारा ब्लोग बना डाला . फ़िर से भेजा और नारद जी भी घबरा गये और बिना किसी पंगे के नारद पर दिखा दिया गया . रवी रतलामी जी ने स्वागत टिप्पणी दी, बस वो दिन है आज का दिन है. हम यहा जमे है और पंगे पे पंगा लिये जा रहे है :)

कुश : ब्लॉगर्स में किसे पढ़ना पसंद करते है ?
अरुण जी :ऐसे पंगे वाले सवाल के बारे मे आपने सोच कैसे लिया की हम फ़स जायेगे जी और खुद के लिये पंगा खडा करलेगे . एक दम गलत सवाल,


कुश : ओहो! आप तो बड़े पंगे वाले मूड में लग रहे है.. ये लीजिए आपकी कॉफी हो सकता है आपका मूड थोड़ा शांत हो जाए..
अरुण जी : ये कॉफी तो चकाचक है जी..जाते समय रास्ते के लिये थरमस मे डाल दीजीयेगा.


कुश : आप तो स्वयं पंगेबाज है, ये बताइए पंगे की परिभाषा क्या है?
अरुण जी : पंगा,यानी "बेमतलब दूसरे के उंगली करना " सच मे तो यही है पंगे की परिभाषा
पर हमारे हिसाब से जो आपके सुई चुभाने की सोच भी रहा हो उसके कम से कम भैस वाला इंजेकशन लगाना , ताकी अगला दुबारा हम से पंगा लेने का ख्याल करने से पहले भी १०० बार सोचे :) इसी लिये तो हम ब्लोगजगत के सबसे बडे और महान पंगेबाज कहलाते है


कुश : तो ब्लॉगिंग में पहली बार किस से पंगा लिया था?
अरुण जी :श्रीश जी से , आखिर इस ब्लोग दुनिया मे हमे धकेला उन्होने ही था

कुश : आप खाली ब्लॉग्स पर ही पंगे लेते है या निजी जीवन में भी पंगेबाज़ है आप?
अरुण जी : दोस्त ये जीवन ही पंगो से भरा है आप नही लोगे तो दूसरे आपसे लेंगे इसलिये अच्छा यही है "जो मारे सो मीर" यानी पहले आप ही ले डालो

कुश : कोई सबसे बड़ा पंगा
अरुण जी :हम छोटे मोटे पंगे लेते ही कब है जी सारे सरासर बडे ही होते है

कुश : अपने परिवार के बारे में बताइए ?
अरुण जी :एक बीबी दो बच्चे बस छोटा सा परिवार ही है हमारा


कुश : एक दफ़ा स्कूल से भाग कर पिक्चर भी देखी थी आपने ?
अरुण जी : स्कूल से भाग कर देखी गई इकलौती पिकचर " मुकद्दर का सिकंदर " मे हम भी मुकद्दर के सिंकदर निकले , हमे हमारे बापू हमसे अगली सीट पर अपने दोस्तो के साथ बैठे दिखाई दे गये थे, और हम तडी हो लिये जी :)


कुश : तो मतलब आप अपने पिताजी से बहुत डरते थे?
अरुण जी :जी बहुत !, वो इस कमरे मे तो हम उस कमरे मे , एक बार तो उन्होने हमे जब पढाई के लिये गाजियाबाद रवाना किया तो उन्होने पूछा कितने पैसे मे काम चल जायेगा . मेरे कुछ ना बोलने पर उन्होने फ़िर पूछा पचास रुपये मे काम चल जायेगा. पूरा महीना काटना और कमरे का किराया और खाना भी . लेकिन मैने जवाब दिया जी चल जायेगा. मन ही मन बुडबुडाता रहा. याखीन करो जब ट्रेन चलदी. तब उन्होने पैसे दिये वरना मै पचास रुपये लेकर नई जगह नये शहर के लिये रवाना हो चुका था .:) े


कुश : साइकल बहुत चलाई है आपने?
अरुण जी : बहुत चलाते थे जी ३०/३५ किलोमीटर रोज.. पढने इसी से जाते थे ना.. पक्की याद भी छोड गई थी साईकल .अगले तीन दात चिमटा अचानक टुटने से बाहर निकल आये थे , लेकिन डाकटरो ने वापस लगा दिये थे जी ,अभी भी फ़ुल स्विंग मे काम करते है :) आप चाहे तो काट कर दिखा सकता हू

कुश : ना ना, अच्छा ये बताइए पहली बार किस पर दिल आया था ?
अरुण जी :हेमा मालिनी पर लेकिन उसने धर्मेंद्र से शादी करली , फ़िर स्मिता पाटिल पर ,पर उसने भी राजबब्बर को चुन लिया तब हमने भी बिना दिल लगाये शादी करली जी , आजकल दिल अपने बच्चो की अम्मा कॊ ही दिया हुआ है . ना हमारे पास होगा ना हम किसी को देगे


कुश : लिखने का शौक कब से हुआ?
अरुण जी :किसको कौन लिखता है जी आपको गलत बताया किसी ने . हम तो बस पंगा लेते है खामखा हमारी रेपुटेशन खराब ना करे


कुश : कभी ना भुलाया जा सकने वाला पल ?
अरुण जी : जब आखिरी बार पिताजी को हस्पताल लेकर गया था , आज भी कई बार लगता है कि वो कार मे मेरी सीट के ठीक पीछे उसी दिन की तरह बैठे है और मुझे दिलासा दे रहे है कि मै ठीक हू


कुश : कुछ ऐसा भी है खाने में जो आपको पसंद नही ?
अरुण जी : तेज मसाले घी तैरता हुआ


कुश : इतनी व्यस्त दिनचर्या में ब्लॉगिंग के लिए वक़्त कैसे निकल पते है?
अरुण जी : वही तरीका जो समीर भाइ अपनाते है उनकी ब्लोगिंग बत्ती ट्रेन मे बैठते ही जलती है . हमारी सुबह सुबह एफ़ टीवी देखकर या फ़िर आफ़िस आते हुये रास्ते मे देख कर , अब ये मत पूछ बैठना क्या देखकर . वो नही बतायेगे


कुश : खाली समय में आप क्या करते है ?
अरुण जी : जी ब्लोगिंग


कुश : जीवन की कोई ऐसी घटना जिससे मन विचलित हुआ हो?
अरुण जी : ामपुर का दिसंबर १९८८ के अंतिम दिन का वाकया है , हम कुछ दोस्तो ने एक दोस्त खुराना के घर नये साल के जश्न मनाने का प्रोग्राम बनाया था. लेकिन उसके संबंधियो के आ जाने से कैंसिल हो गया. हम सभी अपने अपने घर चले गये . थोडी देर बाद खुराना जी सम्बंधियो को गोली देकर दोस्तो के साथ मेरे पास फ़िर नमूदार हो गये बोले चलो सिविललाईन चलते है , रामसिंह के ढाबे पर बैठेगे, लिहाजा हम भी चल दिये ,अब हम एक और दोस्त भूटानी के यहा पहुचे और उन्हे आवाज लगाई . लेकिन बाहर आये उनके मकान मालिक एडवोकेट गुप्ता जी .कहा जा रही है टीम ? कोई नये साल का प्रोग्राम शोग्राम है क्या ? यार कभी हमे भी बुला लिया करो . लिहाजा उन्हे भी आंमत्रित कर लिया गया .वैसे मै खाना खा चुका हू लेकिन तुम लोग इतना ज्यादा प्रेस कर रहे हो तो मै चलता हू . अभी आया जरा पार्टी के लायक कपडे पहन आऊ. जब तक भूटानी जी आते वकील साहेब नया सूट टाई शाई पहन कर साथ हो लिये . सबसे ज्याद वही चमक रहे थे , खूब जमी वो पार्टी शाम आठ लेकर रात १२ बजे तक . सबसे ज्यादा चहकने वाले थे वकील साहब , और सच मे उस दिन उस पार्टी की रौनक भी वही थे . हर थोडी देर बाद रामसिंह को गले लगाते और अपने घर आने की दावत देते. रामसिंह भी उस दिन अपना गल्ला छॊड हमारे साथ ही जम गया था. रात अपने शबाब पर थी , घडी ने नये साल के आने की सूचना दी सभी लोगो ने एक दूसरे को जम कर गले लग लगा कर नये साल की शुभ कामनाये दी और सबसे ज्यादा वकील साहेब ने अगले पाच मिनिट मे हरएक के साथ डांस भी कर डाला .इसी के साथ खुराना और संजीव ने रामसिंह को बिल चुकाया और पार्टी स्माप्ती की घोषणा भी करदी . हम सभी लोग निकल कर बाहर आये कुछ अपने स्कूटर स्टार्ट कर रहे थे कुछ पीछे बैठने लगे थे . वकील साहब ने संजीव से सिगरेट ली बडी शान के साथ धुआ छॊडा और सडक पार चल दिये , कि मै अभी आया . सडक पार कर उन्होने रेलेवे स्टेशन के साथ बनी हुई दीवाल पर लघुशंका की , आने के लिये वापिस मुडे ... . और और बस हमने एक धडाम की आवाज सुनी एक ट्रक को हवा की स्पीड से जाते महसूस किया . जब तक समझ मे आया पता चला कि वकील साहब अपना आखिरी जश्न मना चुके थे . दोस्त फ़िर कौन सा नया साल किसका नया साल , वो रात शायद आज तक गुजरी तमाम रातो मे सबसे भारी रात थी. नये साल के पहले दिन का हर गुजरता पल हथोडे की चोट दे रहा था , वकील साहब दो बेटियो ७ साल ,५ साल को बेसहारा छॊड कर जा चुके थे , साल का पहला ही दिन था जब हम, वकील साहब को नये सूट के बजाय सफ़ेद कफ़न पहना उन्हे अंतिम विदाई दे रहे थे ,वो दिन है और आज का दिन हममे से कोई नये साल की पार्टी मे नही जाता


कुश : समीर जी ने अपने पिछले इंटरव्यू में कहा था की यदि ब्लॉग जगत में से करदरो लेकर यदि शोले बनानी होती, तो वो आपको 'सूरमा भोपाली' का रोल दिया था.. आपका क्या कहना है उस बारे में?
अरुण जी : बिलकुल तैयार जी लेकिन साईनिंग एमाऊंट तो दिलवाईये, उसके बिना तो अपन बिलकुल काम नही करेगे जी अगर फ़्री मे काम करना होता तो मै रामू की सरकार अमिताभ के लिये क्यू छोडता क्यो छॊडता ?


कुश : यदि आप स्वयं अपने लिए फिल्म शोले का कोई किरदार चुनना चाहे तो क्या चुनेंगे?
अरुण जी : सांभा का आराम से उपर बैठकर खैनी खाऊंगा, और बाकियो से पंगे लूंगा .



कुश : बहुत अच्छे जवाब रहे आपके.. चलिए अब शुरू करते है हमारा रॅपिड फायर राउंड

कुश : कॉफी - चाय
अरुण जी :चाय पर काफ़ी के रंग की ( ब्लैक टी)

कुश : बसंती - धन्नो
अरुण जी :धन्नो पर नाम बसंती रखेगे.

कुश : काली आँखे - काली जुल्फे
अरुण जी :काली आंखे पर काली जुल्फ़ो से झाकती हुई

कुश : अख़बार - न्यूज़ चैनल
अरुण जी :न्यूज चैनल पर अखबारो की खबरे


एक लाइन में जवाब देना है

कुश : राज ठाकरे -
अरुण जी :लडाकू मुर्गा


कुश : नारद-
अरुण जी :कौन सा ?


कुश : द ग्रेट खली-
अरुण जी :आदिमानव


कुश : संजय बेंगाणी -
अरुण जी :एक प्यारा सा दुलारा सा गुज्जू भाई


कुश : कुश की कॉफी -
अरुण जी :एक कप और


कुश : आपकी कोई विश -
अरुण जी :हा मेरे खुदा मुझे तुरंत एक ऐसी लडकी बनादे जिस पर राहुल लट्टू हो. मै भी भारत का भाग्य विधाता बनना चाहता हू..

कुश : चलिए अब वक़्त है हमारे यहा की स्पेशल 'खुराफाती कॉफी' का जिसे पीकर आपको देने होंगे खुराफाती सवालो के खुराफाती जवाब

कुश : अगर घी सीधी उंगली से भी ना निकले तो?
अरुण जी : गलतफ़हमी है जी आपको घी आज तक सीधी उंगली से नही निकला.


कुश : पोस्ट बॉक्स का रंग लाल ही क्यो होता है?
अरुण जी : ताकी आप को याद रहे कि चिट्ठी डालनी है इस डिब्बे मे , जेब मे नही.



कुश :
यदि राखी सावंत से पंगा हो जाए तो ?
अरुण जी : खामखा क्यो हमे लाईम लाईट मे लाना चाहते हो.जो इतनी गंभीर स्थिती पैदा होने के बारे मे सोच रहे हो ? बाढ का मौसम है हम किसी भी तरह कही भी आने वाली बाढ के लिये जिम्मेदार नही दिखना चाहते


कुश : अगर काली बिल्ली आपका रता काट ले तो ?
अरुण जी : तो इसके लिये वो खुद ही जिम्मेदार होगी हम नही..


कुश : अगर आपको कोई चिराग का जिन्न मिले और तीन काम करने को तैयार हो जाए तो वो तीन काम कौन से होंगे?
अरुण जी : ये हम आपको काहे बताये जी , सिक्रेट भी कोई शब्द होता है ना ?

कुश : चलते चलते एक प्रश्‍न और, हिन्दी ब्लॉगिंग का भविष्य कैसा देखते है आप?
अरुण जी : चकाचक जी,

कुश : बहुत बढ़िया जवाब रहे आपके अरुण जी.. आशा है आपको भी आनंद आया होगा कॉफी विद कुश में आकर.. इस बातचीत को यही विराम देंगे हम.. लेकिन जाने से पहले ये एक गिफ्ट हैम्पर हमारी तरफ से..

तो दोस्तो ये था हमारा कॉफी विद कुश का छटा एपिसोड जिसमे मिलवाया हमने आपको छठे हुए पंगेबाज अरुण जी से.. आशा है आपको ये एपिसोड पसंद आया होगा.. लिख भेजिया कैसा लगा आपको इस बार का एपिसोड.. अगले साप्ताह इसी दिन इसी ब्लॉग पर फिर मिलेंगे हम हमारे ही बीच के एक और ब्लॉगर के साथ.. तब तक के लिए.. शुभम

34 comments:

Rajesh Roshan said...

यार इस काफी का टेस्ट हफ्ते डर हफ्ते बढ़ता जा रहा है..... और पंगेबाज के साथ काफी..... वाह वाह

Rajesh Roshan said...

*हफ्ते दर हफ्ते

रंजू भाटिया said...

अरुण जी से मुलाकात तो हुई है पर उनके बारे में जाना है ,सही पंगे लिया है आपने कुश जी ...रोचक लगा इसको पढ़ना

Abhishek Ojha said...

पंगेबाज जी के बारे में तो पढ़ा ही था... आज और जानकर बहुत अच्छा लगा.

मैथिली गुप्त said...

काफी की अरुण जी से पंगेबाजी शानदार रही

Shiv said...

कुश जी पंगे के बारे में बात वो भी छोटे एपिसोड में! बहुत नाइंसाफी है ये. वैसे मेरे बहुत ही पसंदीदा ब्लॉगर हैं अरुण जी. हम तो जी यही चाहते हैं कि वे बस पंगे लेते रहे.

PD said...

अजी हमें तो पूरी की पूरी पोस्ट ही खुराफाती जवाबों से भरा हुआ मिला.. बाकी सेशन कहां है?? :)

ghughutibasuti said...

बहुत बढ़िया रहा।
घुघूती बासूती

दिवाकर प्रताप सिंह said...

वाह .....अच्छा है !

पारुल "पुखराज" said...

ati uttam...

अजित वडनेरकर said...

बरसात के मौसम में शानदार कॉफी के साथ धमाकेदार पंगेबाजी...
कुश का आभार , पंगेबाज को शुक्रिया...

नीरज गोस्वामी said...

इस पंगे बाज ने बता दिया है कुश भाई की इस से पंगा लेना सही नहीं....अपन तो दूर से ही सलाम ठोकते हैं गुरु को. रोचक सवाल जवाब...जो सिर्फ़ पंगे बाज के बस के ही हैं.
नीरज

Udan Tashtari said...

Coffee par pangebaji!!! Jai ho!! Ab to signing amount bhejna hi padega. :) Behtarin raha,

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा said...

आखिर आपने भी पंगेबाज से पंगेबाजी कर ही डाली, पर मजेदार इंटरव्यू, अरूण जी तो जहां भी लिखते हैं, सबको पस्त कर देते हैं।

श्रद्धा जैन said...

hmm lagta hai mujhe bhi pangebaazi ka ek blog banana padega
Narad par to mujhe bhi nahi liya jaa raha hai

Arun ji ka intreview padhna achha laga

Gyan Dutt Pandey said...

पंगेबाज तो फसाड है - यह आदमी तो बहुत बैलेंस्ड है।

Ashok Pandey said...

वाह, मजा आया पढ़ने में।

Ghost Buster said...

सवाल जवाब की अच्छी जुगलबंदी रही. वैसे पंगेबाज अब पहले जैसे नहीं रहे. केवल पुराने क्रेडिट पर ही पंगेबाज कहलाये जा रहे हैं.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

भैस वाला इंजेकशन लगाना --
ये पढकर इत्ते हँसी आई कि ना पूछो - एकदम शानदार च जानदार -
बधाई जी - to both ! :)
-लावण्या

अनूप शुक्ल said...

सही रहा। घोस्ट बस्टर की बात में दम है-पंगेबाज अब पहले जैसे नहीं रहे. केवल पुराने क्रेडिट पर ही पंगेबाज कहलाये जा रहे हैं.

Tarun said...

vaah, pangebaj ji ke baare me bahut kuch naya pata chala

संजय बेंगाणी said...

कॉफि की लत लगा दी आपने. स्वादिष्ट अंक रहा. पंगेबाज सुधर कैसे गए? भाभीजी को हमारे द्वारा की गई शिकायत काम कर गई दिखे :)

राज भाटिय़ा said...

पहले पंगे वाज से डरते थे,अब कुश भाई से भी डर लगता हे,अजी वो जिन्न वाला चिराग कही हाथ लगे तो मुझे भेज देना,बहुत खुब

admin said...

Hamesha ki tarah laajawaab.

pallavi trivedi said...

maza aaya arun ji se mulakat karke...pangon ke saath vichlit kar dene wala kissa bhi bayaan kiya...unki wish hame badi pasand aayi...rochak sawaal jawaab.

Abhijit said...

bahut badhiya panga....ab to har somvaar ka intezaar rehta hai..gale episode ke liye

Shishir Shah said...

kaise kaise pange lete ho kushbhai? par jo bhi hai bada hi mazedar raha...

bas ek cheez yahan bhi dekhi humne...pange lene wale log pitaji se bahot darte hain...

नीला आसमान said...

wah!!

But the story of Vakil saheeb was sad... :(..
Panga na ley!! :)

मीनाक्षी said...

वकील साहब के बारे में पढ़कर तो हमारा दिल भी विचलित हो गया..

HBMedia said...

बहुत अच्छा लगा.
बहुत बढ़िया ........

Saee_K said...

ek badhiya interview..padhke maza aaya..

कुश said...

आप सभी महानुभावो का हार्दिक धन्यवाद...आप सभी की प्रतिक्रियो को देखकर उत्साह और दुगुना हो गया.. ऐसे ही प्यार बरसाते रहिए.. साथ ही आप सभी के सुझाव भी आमंत्रित है..

अरुण जी का आभार जिन्होने मुझे अपना अमूल्य समय दिया..

एक बार फिर आप सभी ब्लॉगर मित्रो को मेरी ओर से हार्दिक धन्यवाद...

प्रवीण त्रिवेदी said...

पंगेबाज जी के बारे में आज और जानकर बहुत अच्छा लगा!!!

डा० अमर कुमार said...


उड़ी बाबा, अभी फ़ेसबुक पर इस इंटरव्यू का जिक्र देखा,
सब ठीक ठाक तो रहा न ?
कोई पँगा तो नहीं हुआ ?
बुकमार्क...अररर्र पृष्ठाँकित कर लिया है, शनिवार को प्यार से पँगाप्रेमी जी के ज़वाब पढूँगा, तीन चार कप काफ़ी के साथ !

Post a Comment